Wednesday, October 17, 2012

यौन हिंसा की शिकार दलित कन्याएं

राष्ट्रीय सहारा, आधी दुनिया, १७.१०.२०१२

 हरियाणा के जिला जींद के सच्चा खेड़ा गांव में बीते हफ्ते, एक दलित परिवार की १६ वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. बर्बर दुर्घटना के बाद लड़की ने, खुद पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आत्मदाह कर लिया. बलात्कार की शिकार किशोरी के परिवार के ज़ख्मों पर मरहम लगाने पहुंची कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पत्रकारों से कहा कि इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन ऐसा सिर्फ हरियाणा में नहीं, देश के सभी राज्यों में भी हैं। सोनिया ने दोषियों को सख्त सजा देने की बात कही मगर जिम्मेवारी कानून और न्यायपालिका के गले में बांध दी. सनद रहे कि 2010 में मिर्चपुर प्रकरण के बाद, राहुल गांधी पीड़ित परिवार को दिलासा देने पहुंचे थे.
 अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग के चेयरमैन पी.एल. पूनिया ने हरियाणा को 'बलात्कार प्रदेश' के नाम से नवाज़ा है किन्तु सगोत्र और प्रेम विवाहों पर तालिबानी फरमान जारी करनें वाली कुछ खाप पंचायतों ने बलात्कार रोकने के लिए सुझाव दिया है कि अगर लड़कियों कि शादी की उम्र १८ साल से घटाकर १६ साल और लड़कों की उम्र २१ से घटाकर १८ कर दी जाए, तो बलात्कार के मामलों में कमी हो सकती है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने भी खाप पंचायत के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा है कि "मुगलों के शासनकाल में भी हमलावरों से बेटियों को बचाने के लिए उनकी शादी छोटी उम्र में कर दी जाती थी. हमें भी इतिहास से सबक लेना चाहिए और खाप पंचायतों के इस अच्छे फैसले को मान लेना चाहिए".

 समझ नहीं आ रहा कि हरियाणा के सामजिक और राजनैतिक विवेक को आखिर हो क्या गया है? क्या आर्थिक समृधि की अफीम, राज्य की आत्मा तक को निगल गई है? चौटाला जी ! इस देश में ३ महीने कि बच्ची से लेकर ७० साल कि वृद्ध महिला तक से बलात्कार के मामले सामने आये हैं और आप हैं कि वोटों कि राजनीति के लिए ऐसे शर्मनाक बयान दे रहे हैं. शुक्र है कि आप हरियाणा के मुख्यमंत्री नहीं हैं(अब) वरना न जाने क्या करते-करवाते. सोनिया गांधी के जींद दौरे के अगले ही दिन, कैथल में एक और दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार का समाचार आ खड़ा हुआ. राज्य में बीते पखवाड़े में ही 'यौन हिंसा' की यह 14वीं घटना है. इससे पहले हिसार, भिवानी,अम्बाला, पानीपत, यमुना नगर और न जाने कहाँ -कहाँ, हरियाणा के दबंगों ने दलित बालिकाओं के साथ शर्मनाक अपराधों को अंजाम दिया है.

जनवरी 2012 से लेकर अब तक हिसार में 94 ,करनाल में 92, रेवाड़ी में 89 , रोहतक में 87 गुड़गांव में 34, अंबाला में 31 और फरीदाबाद में 28 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. अधिकतर हादसे दलित महिलाओं के साथ ही हुए हैं.अगर बलात्कार के मामलों में सख्त कार्रवाई होती और कठोर सजा मिलती तो लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकती थी तो शायद ये गंभीर घटनाएं टल जाती मगर राज्य कि कानून व्वयस्था को लगता है कि लकवा ही मार गया है. उल्लेखनीय है कि अब तक दलित महिलाओं के साथ, बलात्कार के सब से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में और आदिवासी महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएँ, मध्य प्रदेश में होती रही हैं. २०११ की रिपोर्ट के अनुसार नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार के अधिकतम मामले (२६-२७%) मध्य प्रदेश में ही हुए. नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार के मामलों में, पिछले कई सालों से मध्य प्रदेश प्रथम आता रहा है.

 दिल्‍ली से गुड़गांव, फरीदाबाद, रोहतक, करनाल और चंडीगढ़ तक, बहुमंजिला इमारतें दरअसल हरियाणा के विकास की भ्रामक छवि है. सच यह है कि सीमेंट के जंगल में राजनेताओं कि छत्र-छाया में पल रहे दबंगों की तादाद भी उतनी ही तेजी से बढ़ रही है. दलितों में लगातार बढ़ रही शिक्षा और जागरूकता के कारण, वो अपने कानूनी अधिकारों के प्रति पहले से अधिक सजग हुए है और समाज में बराबरी और सम्मान पूर्वक जीने की मांग करने लगे हैं जबकि तथाकथित उच्च जाती के लोग, दलित महिलाओं को बलात हवश का शिकार बना और मनोबल कुचल कर, गाँव-गाँव में उन्हें नीचा दिखने का प्रयास करते रहते हैं.. राज्य कि सत्ता भी उच्च जाती के राजनेताओं के हाथ में होने के कारण, राज्य में 'अछूत कि शिकायत' सुनने वाला कोई नहीं.

ज्यादातर दलित महिलाएं खेतों-खलियानों में या उनके घरों में काम करती हैं, इसलिए उनके बेख़ौफ़, आवारा और बेरोजगार युवकों की आसानी से शिकार बन जाती हैं. दलितों के साथ अत्याचार, उत्पीड़न, दमन और शोषण का इतिहास बहुत पुराना है परन्तु अब दलित समाज चुपचाप सहने और खामोश रहने को तैयार नहीं हैं. बेटिओं से आये दिन बलात्कार, अब नाकाबिले बर्दाशत होता जा रहा है.स्पस्ट है कि अगर समय रहते हरियाणा सरकार, विपक्ष और आम समाज ने मिलकर अबोध और विशेषकर दलित लड़कियों की सुरक्षा के समुचित समाधान नहीं ढूंढे तो महिलाएं अपनी आत्म रक्षा में खुद ही हथियार उठाने के लिए विवश होंगी और तब बलात्कारियों को सजा से कोई नहीं बचा पायेगा.