Monday, April 22, 2013

बलात्कारियों को फांसी देंगें.. अभी नहीं... कभी नहीं....

बलात्कारियों को फांसी देंगें.. अभी नहीं... कभी नहीं....

शराब, ड्रग्स,पोर्नोग्राफी, छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक पसरी अश्लीलता, विज्ञापनों में नग्न-अर्धनग्न औरतें और अपराधियों को मिले राजनीतिक संरक्षण से समाज में खौफनाक कामुक, उतेजक और हिंसक माहौल बना-बनाया गया है, उसमें यौनहिंसा होना अनहोनी नहीं है। जब कानून 'नपुंसक' , पुलिस भ्रष्ट, न्याय प्रहरी असंवेदनशील, समाज आत्मकेंद्रित और पारिवारिक सम्बन्ध भयंकर शीतयुद्ध की चपेट में हों, तो अबोध बच्चों की सुरक्षा कैसे संभव होगी? पिछले कई सालों से बच्चियों से बलात्कार के मामलों में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहता है- क्या हमने कभी सोच-विचार किया कि क्यों? १ ५ से २ ० साल तक अदालती फैसलों के इंतजार का मतलब क्या घोर अंधेर नहीं? बलात्कारियों को फांसी देंगें.... अभी नहीं... कभी नहीं.....I बहस करना बेकार है।

Saturday, April 20, 2013

स्त्री के विरुद्ध हिंसा-यौन हिंसा

20.3.2013 के राष्ट्रीय सहारा, आधी दुनिया के पहले पन्ने पर कविता कृष्णन के लेख "18 पर फिर वापसी" में छपा है "मालूम हो कि भारत में सहमती की उम्र 1983 से लेकर अभी कुछ महीनें पहले तक 16 वर्ष ही थी"। सादर सम्मान सहित- शुक्र है आपने देश के कानून मंत्री की तरह यह नहीं कहा कि भारत में सहमती की उम्र 1860 से ही 16 वर्ष है।

उल्लेखनीय है कि 1860 में सहमती की उम्र सिर्फ 10 साल थी जो 1891 में 12 साल, 1925 में 14 साल और 1949 में 16 साल की गई थी। 1949 के बाद इस पर कभी कोई विचार ही नहीं किया गया। अध्यादेश (3.2.2013) में इसे 16 से बढ़ा कर 18 किया गया था। नए विधेयक में जो किया जा रहा है, वो आपको सामने है। 

विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए मगर 18 से कम होने पर भी विवाह "गैरकानूनी" नहीं माना-समझा जाता और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 375 के अपवाद अनुसार "15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध किसी भी स्थिति में बलात्कार नहीं है"।
दांपत्य में यौन संबंधों के बारे में सदियों पुरानी सामंती सोच और संस्कार में कोई बदलाव नहीं हो पा रहा।कविता जी तो वैवाहिक बलात्कार पर बहुत बोलती हुई सुनाई देती थी। मालूम नहीं अब क्यों 'मौनव्रत' धारण कर लिया है। 

सवाल यह है कि क्या ऐसे ही कानूनों से रुकेगा 'बाल विवाह', 'बाल तस्करी', 'बाल वेश्यव्रती' और स्त्री विरोधी हिंसा-यौन हिंसा? वैधानिक प्रावधानों में अंतर्विरोधी और विसंगतिपूर्ण 'सुधारवादी मेकअप' से, स्त्री के विरुद्ध हिंसा-यौन हिंसा, कम होने की बजाये बढ़ी है, बढती रही है और बढती रहेगी। 

कविता जी देश के नागरिक हमेशा " याद रखें (गे) कि यह विधेयक सिर्फ महिलों के संघर्ष का परिणाम है"। निश्चित ही, महिलाओं के मुद्दों पर नारी समुदाय की राय ही अहम है। मर्दों की कोई भूमिका नहीं हो सकती - सिवा विरोध-प्रतिरोध के।

Murderer is disqualified from inheriting

The Hindu succession Act, 1956 Section 25 has laid down that Murderer is disqualified from inheriting the property of the person murdered.
"A person who commits murder or abets the commission of murder shall be disqualified from inheriting the property of the person murdered, or any other property in furtherance of the succession to which he or she committed or abetted the commission of the murder".
SO WHY THE PERSONS MURDER THEIR PARENTS?

क्या इन्साफ में देर का मतलब- अंधेर नहीं?


फरवरी १९ ९ ६ में ७-८ साल की गूंगी-बहरी लड़की के साथ बलात्कार हुआ। 
नवम्बर १ ९ ९ ९ में निचली अदालत ने दस साल कैद और जुर्माना की सजा दी। 
१ ९ ९ ९ में हाईकोर्ट में अपील दाखिल हुई। 
अप्रैल २० १ ३ में हाईकोर्ट ने १ ३ साल बाद अपील रद्द करते हुए,
अपराधी को एक हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है। 
जाहिर है अपराधी जमानत पर छुटा हुआ है।
बलात्कारी अभी सुप्रीम कोर्ट में भी अपील दायर कर सकता है।
फैसला होने में १८ साल तो लग ही चुके हैं।
यहाँ पर सवाल बहुत से आ खड़े हुए हैं।
अपराधी ने एक हफ्ते में सरेंडर नहीं किया तो?
इन्साफ में इस देरी को क्या कहा जाए?
अदालतों को 'हाई फ़ास्ट ट्रैक' पर कैसे डाला जाये?